जल, जमीन, जंगल और जानवर की रक्षा करने वाले लोगों को ‘जनजाति’ कहा जाता है! “देश हमें सबकुछ देता है, हम भी तो कुछ देना सीखें” इस उक्ति से प्रेरित होकर विश्वमांगल्य सभा में मातृत्वधर्म के जागरण के माध्यम से राष्ट्रधर्म के लिए किस प्रकार योगदान किया जा सकता है, इस विषय के लिए ‘जनजाति कल्याण विभाग’ की स्थापना की गई है।
भारत में जनजातियों की संख्या १० करोड़ से अधिक है, जिसमें आधी संख्या महिलाओं की है। इन महिलाओं के विकास को ध्यान में रखते हुए, जनजाति की संस्कृति, परंपरा, संस्कार और रीति-रिवाज को आगे ले जाने के लिए इस विभाग की स्थापना की गई है।
जंगल की रक्षा, विरासत का संरक्षण:
यात्रा और संपर्क:
पूर्णतः जनजातीय हैं। इस क्षेत्र के ३३० गांवों में से फिलहाल १०० गांव संपर्कित, ५० गांव विकसनशील और ५ गांव विकसित हैं। उत्सव के दौरान और बाकी समय में भी छोटे-छोटे गांवों में विश्वमांगल्य सभा का संपर्क अभियान जारी रहता है।