Vishwamangalya Sabha

बाल सभा ४-१४ वर्ष की आयु के बच्चों में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का संचार करती है, उनमे अनुशासन को बढ़ावा देती है तथा उन्हें सुसंस्कृत और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

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विश्वमांगल्य सभा का दृढ़ विश्वास है की प्रारंभिक उम्र में मूल्यों का संचार करना बच्चे के चरित्र और भविष्य को आकार देने में गहरा प्रभाव डाल सकता है। यही कारण है की हम इस किशोर मन में हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में जड़ी मजबूत नींव निर्माण करने के लिए समर्पित हैं।
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बाल सभा यह एक बच्चों के लिए शुरू की गई पहल है जिसका उद्देश्य 4 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों में मूल्यों को संचारित करना, उनमे अच्छे आचरण को प्रेरित करना और अनुशासन को बढ़ावा देना है।
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बाल सभा के माध्यम से, बच्चे आत्म-अन्वेषण और व्यक्तिगत विकास की दिशा में मार्गक्रीत होते हैं, जिससे वह अपने कल के आदर्श नागरिक बनने की नींव रखते हैं। हमारे साप्ताहिक संस्कार कक्षाएं युवा मन को पोषण देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती हैं, जबकि माताओं को अपने बच्चों के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर भी प्रदान करती हैं।
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जैसे-जैसे बच्चे बाल सभा के माध्यम से प्रगति करते हैं, वे छात्र सभा और बाद में विवाह के बाद सदाचार सभा में परिवर्तित होते हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मूल्यों के निरंतर संचरण को सुनिश्चित करता है।

बच्चों में संस्कार का महत्व

प्राचीन भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने संस्कारों या मूल्यों को अनोखा महत्व दिया है। ‘संस्कार’ शब्द का अर्थ ही ‘परिशोधन करना’ है, जो एक साधारण अस्तित्व से एक उन्नत व्यक्ती तथा समाज बनने की प्रक्रिया को दर्शाता है। जैसे सोने को अशुद्धियों से शुद्ध किया जाता है, संस्कार एक परिशोधन प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य व्यक्तियों को अशुद्धियों और विकृतियों से मुक्त करना है, जिससे उनके चरित्र और व्यक्तित्व का परिशोधन हो सके।

संस्कार की भूमिका

यह कहा जाता है कि बच्चों में प्रारंभिक आयु के दौरान रुझे संस्कार उनके व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संस्कार शरीर, मन और बुद्धि को शुद्ध करते हैं, जो व्यक्तियों को समाज में अपनी भूमिकाओं को आदर्श रूप से पूरा करने के लिए सशक्त बनाते हैं।

विश्वमांगल्य बाल सभा ४ से १४ वर्ष की आयु के बच्चों को एकत्रित करने और उन्हें शारीरिक तथा मानसिक परिपूर्णता की दिशा में मार्गदर्शन करने का प्रयास करती है।

बाल सभा का उद्देश्य और लक्ष्य

सुसंस्कृत बच्चे - सुसंस्कृत माता-पिता - सुसंस्कृत नागरिक

भगवान, देश और धर्म के प्रति भक्ति के साथ बच्चों में नैतिक व्यक्तित्व विकास और वैश्विक दृष्टिकोण का निर्माण।

परिवार संरचना के महत्व पर जोर देना।

भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अभ्यास करना।

धर्म के मूल्यों को समझना, भगवान में आस्था और विश्वास को बढ़ावा देना।

सामूहिक पहलों के माध्यम से संगठित समाज का निरीक्षण।

कार्य पद्धति

  • हर माह ४ बालसभा
  • सप्ताह मे एक दिन १.५ घंटा
  • चौथी बालसभा माता के साथ

कार्यक्रम / पहल

कार्य-विस्तार

भारत

विदेश