हम विश्वमांगल्य सभा में इस बात पर दृढ विश्वास रखते हैं कि प्रत्येक महिला मातृत्व की आत्मा को धारण करती है, जो एक प्रतिरक्षी और धार्मिक समाज की नींव के जैसा कार्य करती है।
हम एक ऐसा संगठन हैं जो महिलाओं की क्षमता जागृत करने के लिए समर्पित हैं, जहा उम्र की कोई विशेष सीमा नहीं, और सक्षम भारत के ध्येय की पूर्ती में महिलाओं के क्षमता का उपयोग करता है।
विश्वमांगल्य सभा की स्थापना २०१० में सांस्कृतिक (शिक्षा), सामर्थ्य (शक्ति), सदाचार (गुण), और सेवा (सेवा) के मौलिक सिद्धांतों के मार्गदर्शन में हुई , जो एक वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाली संस्था है। हम मानते हैं कि माताएँ केवल एक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि परिवारों, समुदायों, तथा पूरे राष्ट्र की मूल आधार स्तम्भ हैं।
हमारा उद्देश्य इस महान कार्य में सहायता करना है , जिससे हम मिलकर माताओं को सशक्त बनाने और अपने भविष्य की पीढ़ियों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये , जिससे एक उज्जवल और सुनहरे कल का निर्माण हो। हमारे इस कार्य में हमारे साथ जुडे जिससे समाज में बदलाव करने की क्षमता है और जो मातृत्व की असली क्षमता को प्रज्वलित करता हो !
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परम पूज्य आचार्य स्वामी श्री जीतेन्द्रनाथ जी महाराज ६०० वर्ष से अधिक की जिसकी विरासत है उस श्री दत्त पीठ परंपरा की आत्मा को दर्शाते हैं। १८वें पीठाधीश्वर के रूप में, उनके दृष्टिगत नेतृत्व ने विश्वमांगल्य सभा की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो सभी माताओं/बहनो के लिए प्रेरणास्रोत की ज्योति है।
स्वामीजी के मार्गदर्शन में, जीवन-कालिक (जीवनभर के लिए स्वयंसेवक) की एक समर्पित टीम और हजारों प्रेरित अनुयायी इस महान और पवित्र कार्य के लिए अथक काम कर रहे हैं।
स्वामीजी का संघटन कौशल्य, उनकी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रीय अखंडता की शिक्षा को निखारते हैं, जो उन सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जो भारत को विश्वगुरु बनाने के इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं।
नेतृत्व जो परंपरा का संवर्धन करे और महिलाओं को प्रेरित करे
हर भारतीय महिला को मातृत्व की क्षमताओं से जागरूक और सशक्त बनाना तथा संस्कृति, नैतिकता, और गरिमा की जड़ों पर आधारित एक धार्मिक समाज का निर्माण करना, जिससे भारत को अपनी सही स्थिति में विश्वगुरु बनाया जा सके।